विश्व पर्यावरण दिवस

08 Jun, 2019

पानी पहाड़ पशु और वन इन सब का करो संरक्षण

रहेगा तभी अपना जीवन यदि रहेगा पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावण के प्रति  वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। विश्व पर्यावरण दिवस प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है, फिर भी हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है। यह बात चिंताजनक ही नहीं, शर्मनाक भी है। इंसान ने विकास की अंधी दौड़ में अपने पर्यावण का सबसे ज़्यादा दोहन किया है, जिनके परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं। हमारे देश में अक्सर ऐसा होता है कि कोई भी बड़ा कार्य होता है तो हम उम्मीद करते हैं कि वह सरकार करेग जैसे  पर्यावरण संरक्षण। दुर्भाग्य से कुछ लोग मानते हैं कि केवल सरकार और बड़ी कंपनियों को ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी जिम्मेदारी समझे तो पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है। लेकिन प्रगति के नाम पर पर्यावरण को मानव ने ही विकृत करने का प्रयास किया है। आज पर्यावरण संरक्षण हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य और जिम्मेदारी है। ला मोंटेसरी स्कूल में भी पर्यावरण दिवस पर अनेक गतिविधियों का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता रैली निकाली गई, विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री शैलेंद्र ठाकुर ने छात्रों के साथ मिलकर पौधारोपण किया,छात्रों ने नुक्कड़ नाटक द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। विद्यालय में छात्रों के लिए नारा लेखन व चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया । विद्यालय के छात्रों ने विद्यालय के बाहर पर्यावरण दिवस पर हुई प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और पर्यावरण संरक्षण संबंधी अपने विचारों से सभी को प्रभावित करते हुए प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया। देव सदन में कर्मठ नव कीर्ति कला मंच द्वारा आयोजित पर्यावरण संरक्षण पर भाषण प्रतियोगिता में विद्यालय के छात्र प्रत्यक्ष ने प्रथम स्थान प्राप्त किया ।जी बी पंत संस्था माहौल में भी पर्यावरण संरक्षण संबंधी भाषण प्रतियोगिता में विद्यालय के छात्र आदि धीमान ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। अपनी प्रकृति मां को बचाने के लिए हम इस एक दिन पर आश्रित ना रहें बल्कि नित्य ही इसे सजाने, संवारने और बचाने में लगे रहें तो ही हम अपनी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित जीवन प्रदान कर सकते हैं।