गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोबिंद दियो बताय॥
कबीरदास जी ने कहा है कि यदि शिक्षक और भगवान दोनों सामने हो तो हमें पहले शिक्षक के चरण स्पर्श करने चाहिए क्योंकि एक शिक्षक ही हमें ज्ञान दे कर भगवान तक पहुँचने का रास्ता दिखाते हैं । शिक्षक वह दीपक है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देते है । भारत में हर वर्ष 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म भी इसी दिन 5 सितंबर सन् 1888 को हुआ था। वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति थे। उन्हीं के जन्मदिवस को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक शिक्षण संस्थान में शिक्षकों के सम्मान के रूप में शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है । ला मॉन्टेसरी विद्यालय कलैहली (जिला कुल्लू के विद्यालयों में अग्रणी) में भी शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। श्रीमती ललिता कंवर (एमडी एकेडमिक्स ला मोंटेसरी विद्यालय) विद्यालय के अध्यापक वर्ग, विदेश से आए कुछ प्रतिभाशाली अध्यापकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति में इस कार्यक्रम का आगाज हुआ।
एल एम. एस विद्यालय सदैव अपने विद्यालय के विद्यार्थियों को पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके। इसी श्रृंखला में विद्यार्थियों ने शिक्षक दिवस के सुअवसर पर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। जिनमें सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों ने बढ़ -चढ़कर भाग लिया।
अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते हुए विद्यार्थियों ने प्रधानाचार्या जी को सम्मानित करते हुए, अन्य अध्यापकों को उपाधियाँ देकर सम्मानित किया। एक छात्र ने अध्यापकों के सम्मान में कविता प्रस्तुत की। रंगारंग कार्यक्रम की शुरुआत ड्रम शराड्ज़ और म्यूजिकल चेयर (रोचक गतिविधियों) से हुई। जिनमें विद्यार्थियों ने समूह गीत और सामूहिक नृत्य प्रस्तुत कर सबका मनोरंजन किया। कार्यक्रम के अंत में कुल्लू का लोक नृत्य नाटी भी प्रस्तुत की गई जिसमें सभी विद्यार्थियों,अध्यापकों और विदेश से आए अध्यापकों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का समापन श्रीमती ललिता कंवर जी के ज्ञानवर्धक शब्दों से हुआ।
एक अच्छा अध्यापक वही होता है जो विद्यार्थियों की छिपी प्रतिभा को उजागर करता है। एल.एम.एस कलैहली के शिक्षक भी इसके लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं और विद्यार्थियों को प्रेरित कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करते हैं। इन्हीं प्रयासों के कारण ही एल. एम. एस. एक प्रतिष्ठित विद्यालय के रूप में पूरे हिमाचल प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाए हुए है।
धन्यवाद ।
मन्नत
कक्षा - आठवीं